पीताम्बरा पीठ की स्थापना एक सिद्ध संत, जिन्हें लोग श्रद्धा से 'स्वामीजी महाराज' कहकर पुकारते थे, ने 1935 में दतिया के राजा शत्रुजीत सिंह बुन्देला के सहयोग से की थी। स्थापना से पूर्व यह स्थान एक श्मशान भूमि के रूप में जाना जाता था। श्री स्वामी महाराज ने बचपन में ही सन्यास ग्रहण कर लिया था और वे रहस्यमय व्यक्तित्व के धनी थे — उनकी जन्मभूमि, वास्तविक नाम या जीवन की प्रारंभिक जानकारी आज भी एक रहस्य बनी हुई है।
स्वामीजी महाराज ने पीताम्बरा पीठ को साधना, शक्ति उपासना और आध्यात्मिक जागरण का एक प्रमुख केंद्र बनाया, जो आज भी लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है।