लखनऊ के विख्यात इतिहासकार एवं सुप्रसिद्ध लेखक पद्मश्री योगेश प्रवीण का अकस्मात निधन समस्त लखनऊ को रुला गया। लखनऊ के लाल कहे जाने वाले पद्मश्री योगेश प्रवीण देश के उन जाने माने साहित्यकारों में शामिल रहे हैं, जिन्होंने अपनी कलम के दम पर लखनऊ को एक खास पहचान दिलाते हुए लखनवी इतिहास को जन जन से जोड़ दिया। उनके जाने से लखनऊ में शोक की लहर है और लोग उनके प्रति संवेदना जाहिर कर रहे हैं। इसी क्रम में उनके बेहद करीबी रहे पार्षद मुकेश सिंह मोंटी (मौलवीगंज वार्ड) ने उनके निधन पर शोक प्रकट करते हुए कहा,
"लखनऊ के लाल, जिन्होंने लखनऊ और अवध को अपनी कलम से लोगों तक पहुंचाया, हमारे मौलवीगंज की शान पद्म श्री योगेश प्रवीन जी पंच तत्व में विलीन हो गए। योगेश दाऊ एक ऐसे व्यक्ति थे, जो मेरे घर वालों की तरह मेरा भी लगातार हाल चाल लिया करते थे, एक पिता की तरह मेरे स्वास्थ की चिंता और मेरे कामों की सराहना करते थे, बिना किसी स्वार्थ के लोगों की सेवा भी करते थे। ऐसे थे हमारे दाऊ, जो अब हमारे बीच नहीं रहे।"
गौरतलब है कि विद्यांत हिन्दू कॉलेज से रिटायर पद्मश्री योगेश प्रवीण ने लखनऊ के इतिहास, कला और संस्कृति को अपनी पुस्तक "लखनऊनामा" के जरिए अनोखे ढंग से प्रस्तुत किया था, जिसके लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाजा गया। उनकी अनूठी लेखन शैली व साहित्य के प्रखर ज्ञान के चलते उन्हें इनसाइक्लोपीडिया ऑफ लखनऊ की भी उपाधि प्राप्त थी। सोमवार को बुखार के चलते उनकी तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका निधन हो गया। भैंसाकुंड स्थित बैकुंठ धाम में उन्हें परिजनों के द्वारा अंतिम विदाई दी गई।