"लखनऊ नामा", "दास्ताने अवध", "ताजदारे अवध", "गुलिस्ताने अवध", "साहबेआलम", "कंगन से कटार" (ऐतिहासिक नाटक), "डूबता अवध", "मानोमेन्ट्स ऑफ लखनऊ" अंग्रेजी, "हिस्ट्री ऑफ लखनऊ" (अंग्रेजी), "आपका लखनऊ" इत्यादि जैसे नामचीन लेखन से लखनऊ के स्वर्णिम इतिहास, संस्कृति व कला को विश्व भर में प्रसिद्ध करने वाले कलम के जादूगर स्व. योगेश प्रवीण जी को भारत सरकार द्वारा "पद्मश्री" सम्मान प्रदान किया गया है। लखनऊ को अपना परिवार मानने वाले स्व. योगेश प्रवीण जी को मौलवीगंज वार्ड के पार्षद मुकेश सिंह मोंटी प्रेम से "दाऊ जी" बुलाया करते थे और इसी वर्ष अप्रैल में वह पंचतत्व में विलीन हो गए थे। ऐसे प्रभावशाली व्यक्तित्व को पद्मश्री अवॉर्ड द्वारा सम्मानित किया जाना सभी मौलवीगंज निवासियों के लिए गर्व का विषय है।
गौरतलब है कि विद्यांत हिन्दू कॉलेज से रिटायर पद्मश्री योगेश प्रवीण ने लखनऊ के इतिहास, कला और संस्कृति को अपनी पुस्तक "लखनऊनामा" के जरिए अनोखे ढंग से प्रस्तुत किया था, जिसके लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाजा गया। उनकी अनूठी लेखन शैली व साहित्य के प्रखर ज्ञान के चलते उन्हें इनसाइक्लोपीडिया ऑफ लखनऊ की भी उपाधि प्राप्त थी। अप्रैल में बुखार के चलते उनकी तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका निधन हो गया।